मंगलवार, 24 अप्रैल 2018

राजस्थान के राजवंशों की उत्पत्ति और उनके ठिकानों की Gk SHORT TRICK

राजस्थान के राजपूतों की उत्पत्ति 

राजपूतों की उत्पत्ति के सिद्धांतों की ट्रिक:-

राजस्थान में राजपूतों Rajput का उदय 6वीं शताब्दी में हुआ। राजपूतों की उत्पत्ति संबंधी विभिन्न मत Proveniences Theory Of Rajput प्रचलित हैं जो निम्न हैं।

गौरी शंकर औझा -- औझा के अनुसार राजपूत वैदिक आर्यों की संतान है ।

चंद्रबरदायी :- पृथ्वीराज रासौ के रचयिता इनकी ( चार राजपूतों ; परमार , चौहान , चालुक्य , सोलंकी ) उत्पत्ति वशिष्ठ ऋषि द्वारा आबूपर्वत पर किये गये यज्ञ से हुई , अतः इन राजपूतों को अग्निवंशी कहा जाता है।

नयनचंद्र सूरी :- इनके मतानुसार इनकी उत्पत्ति सूर्य से हुई , अतः राजपूतों को सूर्यवंशी कहा जाता है।

कर्नल टॉड :- कर्नल जेम्स टॉड ने राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी जातियों शक , हुण , कुषाण का मिश्रण माना है।

राजपूतों की उत्पत्ति से सम्बंधित मतों की शॉर्ट ट्रिक प्रस्तुत हैं

  ट्रिक गौरी वेध (वेद से),सूर्य,चंद्र की नयन में (आंसू) टॉड,स्मिथ,क्रुक (विदेशी),भंगर शर्मा (ब्राह्मण)
ट्रिक शब्द विद्वान मत/सिद्धान्त
गौरी वेध (वेद से) गौरीशंकर,cs वैध वैदिक क्षत्रियों/आर्यों की संतान
सूर्य,चंद्र की नयन में (आंसू) सूर्यमल्ल मिश्रण,चंदबरदायी,नैणसी अग्निकुंड से
टॉड,स्मिथ,क्रुक (विदेशी) जेम्स टॉड,V स्मिथ,क्रुक विदेश से आये हुए
भंगर शर्मा (ब्राह्मण) भंडारकर,गोपीनाथ शर्मा ब्राह्मणों की संतान




8वीं से 10वीं सदी तक उत्तर- पश्चिम North West भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश का शासन रहा ।
मारवाड़ प्रारम्भ में इनकी शक्ति का प्रमुख केंद्र था।
उस समय मारवाड़ के लिए गुर्जरात्रा शब्द का प्रयोग किया जाता था।

गुर्जर Gurjar प्रदेश के शासक होने के कारण प्रतिहारों को गुर्जर प्रतिहार Gurjar - Pratihar कहा जाने लगा। प्रतिहारों का प्रभाव न केवल राजस्थान बल्कि कन्नौज एवं बनारस तक भी था।

राजस्थान में प्रतिहारों की 1. मंडोर शाखा 2.भीनमाल शाखा अस्तित्व में थी ।
प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम ( Nagbhatta pratham ) ने आठवीं सदी में भीनमाल पर अधिकार करके उसे अपनी राजधानी Capital बनाया ।
राजस्थान में गुर्जर प्रतिहारों की प्रारंभिक राजधानी मंडोर थी ।

दो दोस्तो आपके लिए हाजिर है प्रतिहार वंश के शासित राज्यों की Short Trick.
ट्रिक = प्रति भी गुम जाए ।
ट्रिक शब्द ट्रिक विवरण
प्रति प्रतिहार वंश के ठिकाने
भी भीनमाल
गु गुर्जरात्रा
मण्डौर
जाए जालोर


सिसौदिया वंश के प्रमुख ठिकाने

1158 ई. में रणसिंह गुहिल , जिसे कर्णसिंह भी कहते है , मेवाड़ Mewad का शासक बना ।
क्षेमसिंह जो रणसिंह का पुत्र था ने मेवाड़ की रावल Rawal शाखा को जन्म दिया ।
रणसिंह के दूसरे पुत्र राहप ने सिसोदा गांव की स्थापना कर राणा शाखा की स्थापना की , जो सिसोदे में रहने के कारण Sisodiya सिसोदिया कहलाये।

 सामंतसिंह व कुमारसिंह क्षेमसिंह के दो पुत्र हुए । 1172 में सामंतसिंह मेवाड़ का शासक बना लेकिन नाडौल के कीर्तिपाल चौहान ने मेवाड़ का राज्य छीन लिया।
 तब सामंतसिंह ने वागड़ vagad में अपना राज्य स्थापित किया।

 राणा हम्मीर ने मालदेव के पुत्र जयसिंह को (औझा के अनुसार), मालदेव के पुत्र बनवीर को (रणकपुर शिलालेख अनुसार ) हराकर मेवाड़ में सिसोदिया वंश के साम्राज्य की स्थापना की इसी कारण हम्मीर को मेवाड़ का उद्धारक तथा सिसोदिया साम्राज्य का संस्थापक कहा जाता हैं।

 आगे प्रस्तुत हैं सिसोदिया वंश के राज्यों की शार्ट ट्रिक हिन्दी में ।
ट्रिक = सिस ऊंचा बाँस का,प्रतापशाह डूंगर पर।
ट्रिक शब्द ट्रिक विवरण
सिस सिसौदिया वंश के ठिकाने
ऊं उदयपुर
चा चित्तौड़गढ़
बाँस बाँसवाड़ा
का ××××
प्रताप प्रतापगढ़
शाह शाहपुरा
डूंगर पर डूंगरपुर

गुहिल वंश के प्रमुख ठिकाने

उदयपुर का राजवंश Dynast विश्व के दूसरे राजवंशों से भी अधिक प्राचीन है।
 गुहिल वंश की नींव भगवान रामचंद्र के पुत्र कुश के वंशजों में से 566 ई. में मेवाड़ में गुहादित्य Guhadity नाम के प्रतापी राजा ने रखी। तब से लेकर राजस्थान के निर्माण तक उदयपुर पर इसी राजवंश ने राज किया ।

 मेवाड़ के इतिहास History Of Mewad की जानकारी गुहादित्य ( गुहिल ) के काल से प्रारम्भ होती है।
गुहादित्य के पिता का नाम शिलादित्य व माता का नाम पुष्पावती था ।

गुहादित्य के बाद बापा रावल Bapa Rawal जिसका मूल नाम कालभोज था , 734 से 753 ई. तक मेवाड़ का प्रतापी राजा हुआ ।

 एकलिंग जी बापा के इष्टदेव थे । एकलिंगजी के मुख्य पुजारी हारित ऋषि के आशीर्वाद से 734 ई. में मान मौर्य से बापा ने चित्तौड़ दुर्ग Chittaud fort जीता ।
 उस समय गुहिलों की राजधानी नागदा थी।

 बापा के वंशज अल्लट ने आहड़ को अपनी दूसरी राजधानी Second Capital बनाया।

आगे पढ़िये गुहिल वंश के प्रमुख ठिकानों की शार्ट ट्रिक ।
ट्रिक = गुमे बाँस उचे डूंगर ।
ट्रिक शब्द ट्रिक विवरण
गु गुहिल वंश के ठिकाने
मे मेवाड़
बाँस बाँसवाड़ा
उदयपुर
चे चित्तौड़गढ़
डूंगर डूंगरपुर